जब से इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन शुरू हुआ है, तब से एक और बहस शुरू हो गई है कि किफायती वाहन कौन सा है! यानी ईवी या पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों में सच में सस्ता कौन पड़ता है? बता दें कि कुछ ईवी कारों की कीमतों में हुई कटौती से बचत के समीकरण भी बदले हैं। यहां पेश है एक विश्लेषण……
● ईवी दूसरी गाड़ियों के मुकाबले ज्यादा उपयोगी हैं। यह महंगी हैं, परंतु कुछ कंपनियां इसे पेट्रोल कारों के रेट में ले आई हैं। टाटा जैसी कंपनी ने तो पेट्रोल कार के रेट में टिएगो पेश कर दी है। इसकी डेढ़ लाख रुपए कीमत कम कर दी है। रही बात बैटरी की, तो कंपनियां इस पर भी सात से आठ साल तक की गारंटी दे रही हैं। बैटरी भी लिथियम जैसी हाईब्रिड होती हैं। कंपनियां बैटरी की रिप्लेसमेंट की बात करती हैं। परंतु सीएनजी या पेट्रोल के मुकाबले ग्राहक के लिहाज से रोज की रनिंग कॉस्ट बहुत कम हो जाती हैे। अगर एक लाख किलोमीटर ईवी चलाई, तो एक रुपये खर्च आता है, प्रति किलोमीटर और पेट्रोल गाड़ी में यही खर्च 8 रुपए प्रति किलोमीटर हो जाता है।
● टाटा मोटर्स ने हाल ही में अपने टिएगो और नेक्सॉन की कीमतें क्रमश 70 हजार व 1.2 लाख रुपए तक कम कर दी हैं। टिएगो ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) की कीमत अब एक्स शोरूम 7.99 लाख रुपए होगी, जबकि नेक्सॉन 14.49 लाख रुपए में आएगी। कीमतें कम होने के बाद टिएगो भारत में दूसरी सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक कार होगी, जिसके आगे केवल एमजी कॉमेट है, जिसकी कीमत 6.99 लाख रुपए है। कीमतें कम होने पर ईवी की चाहत रखने वाले खरीदारों के लिए ये और सुलभ होंगी, क्योंकि जीवाश्म ईंधन यानी पेट्रोल और डीजल कारों की तुलना में ईवी के महंगे दाम एक बड़ी बाधा रहे हैं। लेकिन कार की किफायत सिर्फ कीमत से ही नहीं निर्धारित होती। वहीं ईवी और जीवाश्म ईंधन की कारों (आईसीई कारें) की कीमत में जो अंतर है, ईवी के दामों में कटौती से उसकी भरपाई होने की समयावधि भी कम हुई है। कई बातें हैं, जिनके आधार पर बचत की इस गणित को समझा जा सकता है।
ऐसे समझें किफायत का गणित
इस संदर्भ में यह देखना जरूरी है कि इन दोनों प्रकार की कारों में लंबी अवधि में ईंधन और रखरखाव पर क्या खर्च होता है? एक पहले के विश्लेषण के अनुसार प्रतिदिन 30 किलोमीटर दौड़ने वाली ईवी कार साढ़े छह साल में किफायत देने लगेगी। यहां इसे टाटा टिएगो एक्सटीए (आईसीई यानी जीवाश्म ईंधन की कार) के साथ टाटा टिएगो ईवी एक्सटी (मीडियम रेंज-250 किलोमीटर) की तुलना से समझने की कोशिश है। टिएगो एक्सटी (ईवी) की कीमत 8.99 लाख रुपए है, जबकि टिएगो एक्सटीए 6.95 लाख रुपए में आ सकती है। वहीं ईवी मॉडल पर इंश्योरेंस का शुल्क भी ज्यादा है, लेकिन रजिस्ट्रेशन चार्ज अपेक्षाकृत कम है। अगर रनिंग कॉस्ट को देखें, तो ईवी पर होने वाला खर्च एक समयावधि के बाद कम होता नजर आता है। यानी एक लाख किलोमीटर या 6 साल के संदर्भ में इसे समझा जा सकता है। एक्सटीए मॉडल में इंश्योरेंस का शुल्क, सर्विस और ईंधन का खर्च प्रति 50 हजार किलोमीटर पर 3.73 लाख रुपए है, जबकि इसी मामले में ईवी में 1.06 लाख रुपए का खर्च आता है। ऐसे में रनिंग कॉस्ट के मामले में ईवी दूसरी गाड़ियों के मुकाबले फिट बैठती है।
अब लाभ मिलेगा जल्दी
यह सभी को पता है कि इलेक्ट्रिक कारें जीवाश्म ईंधन की कारों की तुलना में पर्यावरण के लिए अच्छी तो होती हैं, लेकिन महंगी होती हैं। लेकिन कीमत के अंतर की भरपाई वक्त के साथ ईवी कर देती है। लेकिन यह कितना वक्त इसकी भरपाई में लेगी, इसमें भी अब पहले की तुलना में सुधार हुआ है। जैसे पहले के एक लेख से नेक्सॉन ईवी का उदाहरण लें, तो हर दिन 40 किलोमीटर चलने पर इसे 4.2 साल में किफायत देने लायक पाया गया था। जबकि टिएगो ईवी इतनी ही दूरी तय करने में 3.42 साल में किफायती हो जाती है।
इस तरह का अंतर कई बातों पर निर्भर करता है। मसलन टिएगो ईवी की एकमुश्त कीमत नेक्सॉन ईवी के मुकाबले कम होती है, जिससे शुरुआती निवेश आसान होता है। ऐसे में जब वर्तमान में नेक्सॉन और टिएगो के दामों में कटौती हुई है, तो यह भरपाई होने की अवधि पर भी दिखाई देगा। यानी भरपाई भी जल्दी होगी।
दूसरा टिएगो ईवी का रनिंग कॉस्ट तो कम है ही, साथ ही इसमें बैटरी बदलने का खर्च भी कम होता है और इसमें आठ साल या 160000 किमी के बाद बैटरी बदलने की जरूरत होती है।
इंश्योरेंस या अन्य खर्च
आईसीई कारों के मुकाबले ईवी का इंश्योरेंस खर्च अपेक्षाकृत अधिक होता है, क्योंकि ईवी में बैटरी और मरम्मत की दूसरी जरूरतें सामान्य नहीं होती हैं। ईवी की मरम्मत करने के लिए एडवांस तकनीक की जरूरत होती है, जो आमतौर पर महंगी होती है। इसमें बैटरी और दूसरी इलेक्ट्रिकल चीजों को बदलने का खर्च भी ज्यादा होता है। हालांकि ईवी में इंश्योरेंस की प्रक्रिया दूसरी गाड़ियों के मुकाबले अलग नहीं होती है। इरडा ने 2022-23 में ईवी पर इंश्योरेंस खर्च में 15 प्रतिशत की छूट देने का निर्णय लिया है, जिससे इसकी कीमत और दूसरे खर्च कम हो गए। यह भी समझना होगा कि जितनी ज्यादा संख्या में ईवी सड़क पर दौड़ेंगी, उतना ही उनकी मरम्मत का खर्च कम होगा।
चार्जिंग की समस्या भी हो रही दूर
ईवी में चार्जिंग महत्वपूर्ण होती है। पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों पर प्रति किलोवॉट चार्जिंग का शुल्क 5 से 15 रुपए होता है। हालांकि फास्ट चार्जिंग की सेवा लेने पर शुल्क ज्यादा हो जाता है। जबकि अगर आप घर में इसे चार्ज करते हैं, तो यही खर्च 2 से 9 रुपये प्रति किलोवॉट हो जाता है। होम चार्जिंग सस्ती पड़ती है, क्योंकि बाहर चार्ज करवाने पर कमर्शियल चार्ज लगता है। इसके अलावा हो सकता है कि चार्जिंग स्टेशन पर पार्किंग और सबस्क्रिप्शन शुल्क भी लिया जाए। इस तरह के चार्जिंग स्टेशन की संख्या देश में बढ़ रही है।
यह भी दें ध्यान
● अधिकतर अफोर्डेबल ईवी की रेंज कम होती है यानी बैटरी फुल चार्ज होने पर भी ये कम दूरी तय करती हैं। लंबी दूरी की यात्रा के लिए ईवी उपयोगी नहीं।
● 8 साल या 1.60 लाख किलोमीटर चलने के बाद ईवी की बैटरी बदलनी पड़ती है, जिसकी लागत करीब 4.5 लाख रुपए होती है।